क्या आप बहनें छोले बनाने के लिए मीठे सोडे का उपयोग करते हैं? हाँ। क्या आप एक बार लिए तेल को खाना बनाने के लिए बार बार उपयोग करते हैं? हाँ. क्या आप आटे को छान कर चोकर फेंक देते हैं फ़िर रोटी बनाते हैं, जी हाँ. कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा दिनाक १५ अगस्त २००८ को अन्गिक्रिता ग्राम कहोर मैं, भोजन पकाने की उन्नत विधियों से पोषक तत्वों के बचत” विषय पर आयोजित ग्रामीण महिला प्रशिक्षण मैं दो किंजल्क सी सिंह द्वारा पूछे प्रश्नों का उत्तर ग्रामीण महिलाओं ने हाँ में दिया. इसके बाद डॉ सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को स्पष्ट किया की भोजन पकाते समय इस बात का ध्यान रखें की इन सभी प्रश्नों का जवाब नहीं में होना चाहिए. इकतालिस महिलाओं की उपस्तिथि वाले इस प्रशिक्षण में ना केवल भोजन पकाने के नियमों के बारे वृस्तृत चर्चा की गई बल्कि इस विषय पर तैयार पम्फलेट भी वितिरित किया गया.
डॉ. चंद्रजीत सिंह ने भोजन की आवश्यकता, भोजन मैं उपस्थित पौष्टिक तत्त्व एवं इनके लाभ पर प्रकाश डाला.
सादर अभिवादन
ReplyDeleteपहले तो हिन्दी ब्लॉग्स के नये साथियों मे आपका बहुत स्वागत है
दूसरे आपकी इस सशक्त रचना के लिए बधाई
चलिए अपने परिचय के लिए , अभी एक गीत मैने अपने ब्लॉग पे डाला ही उसकी कुछ पंक्तियाँ भेज रहा हूँ
देखिएगा
तुम कभी मायूस मत होना किसी हालात् में
हम चलेंगे ' आखिरी दम तक ' तुम्हारे साथ में
है अँधेरा आज थोड़ा सा अगर तो क्या हुआ
आ गयी कुछ देर को मुश्किल डगर तो क्या हुआ
दर्द के बादल जरा सी देर में छँट जायेंगे
कल तुम्हारी राह के पत्थर सभी हट जायेंगे
चाहते हो जो तुम्हें सब कुछ मिलेगा देखना
हर कली हर फूल कल फ़िर से खिलेगा देखना
फ़िर महकने - मुस्कुराने सी लगेगी जिंदगी
फ़िर खुशी के गीत गाने सी लगेगी जिंदगी
घोर तम हर हाल में हरना तुम्हारा काम है
"दीप "हो तुम रौशनी करना तुम्हारा काम है
पीर की काली निशा है आख़िरी से दौर में
अब समय ज्यादा नहीं है जगमगाती भोर में
देख लो नजरें उठाकर ,साफ दिखती है सुबह
देख लो अब जान कितनी सी बची है रात में
तुम कभी मायूस मत होना किसी हालात् में
हम चलेंगे ' आखिरी दम तक ' तुम्हारे साथ में
आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा मे
डॉ . उदय 'मणि'
http://mainsamayhun.blogspot.com
(मेरे ब्लॉग पे भी आपका सहृदय स्वागत है , और यदि आपको ब्लॉग समर्थ और सार्थक लगे तो इसे अपनी ब्लॉग लिस्ट मे शामिल कीजिए अतिप्रसन्नता होगी ..)