कृषि विज्ञान केन्द्र, रीवा द्वारा सोयाबीन बोनी हेतु नया रास्ता

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सोयाबीन की बोनी कतार में न कर पाने के कारण किसानों को बहुत हानी उठानी पर रही थी पर गुड़हर के श्री लाला भाई ने रिज फरो सीड ड्रिल से एक एकड़ में सिर्फ़ २२ किलो सोयाबीन बो कर न केवल खेती की लागत में कमी की है बल्कि सोयबीन के सबसे बड़े दुश्मन अधिक पानी से सोयबीन की रक्ष भी की है।
अन्यथा किसानों को बीज छींट कर बोना होता था जिससे बीज भी अधिक लगता था तथा घनी बोनी होने के वजह से पौधों में बढ़वार तो अधिक होती थी पर उपज कम हो जाती थी। ऐसी बोनी में कीटों का प्रकोप भी अधिक होता था ।
आम सीड ड्रिल से बोने पर, अधिक बरसात की स्थिति में पानी के भराव होने पर बीज सड़ जाया करता था। यानि दोनों ही परिस्थितियों में किसानों को नुकसान उठाना पड़ता था।
पर रिज फारो सीड ड्रिल खेत में मेड़ तथा नाली का निर्माण करता है एवं बीज को मेड़ पर बोता है और पानी नाली से होते हुए खेत से बाहर निकल जाता है। कम पानी की स्थिति में यही नालियाँ सिंचाई नाली का कार्य करती हैं।
इस सीड ड्रिल से बोनी कतारों में होती है एवं कतार से कतार के दूरी १ फुट होती है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के अंगीकृत ग्राम लक्ष्मणपुरके कृषक श्री संतोष पटेल को कृषि विज्ञान केन्द्र ने प्रेरित कर जब यह सीड ड्रिल दिखाया तो अपने पुराने सीड ड्रिल में ही आवश्यक परिवर्तन कर रिज फरो सीड ड्रिल का कार्य लेने की योजना बना ली है। बधाई के पात्र हैं ऐसे कृषक भाई.

क्या आप बहनें छोले बनाने के लिए मीठे सोडे का उपयोग करते हैं...




क्या आप बहनें छोले बनाने के लिए मीठे सोडे का उपयोग करते हैं?  हाँ। क्या आप एक बार लिए तेल को खाना बनाने के लिए बार बार उपयोग करते हैं? हाँ. क्या आप आटे को छान कर चोकर फेंक देते हैं फ़िर रोटी बनाते हैं, जी हाँ. कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा दिनाक  १५ अगस्त २००८ को अन्गिक्रिता ग्राम कहोर मैं, भोजन पकाने की उन्नत विधियों से पोषक तत्वों के बचतविषय पर आयोजित ग्रामीण महिला प्रशिक्षण मैं दो किंजल्क सी सिंह द्वारा पूछे प्रश्नों का उत्तर ग्रामीण  महिलाओं ने हाँ में दिया. इसके बाद डॉ  सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को स्पष्ट किया की भोजन पकाते समय इस बात का ध्यान रखें की इन सभी प्रश्नों का जवाब नहीं में होना चाहिए. इकतालिस महिलाओं की उपस्तिथि वाले इस प्रशिक्षण में ना केवल भोजन पकाने के नियमों के बारे वृस्तृत  चर्चा की गई बल्कि इस विषय पर तैयार  पम्फलेट भी वितिरित किया गया.
डॉ. चंद्रजीत सिंह ने भोजन की आवश्यकता, भोजन मैं उपस्थित पौष्टिक तत्त्व एवं इनके लाभ पर प्रकाश डाला.

खाद्य प्रसंसकरण विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित


कृषि विज्ञान केन्द्र, रीवा द्वारा स्कूल छोड़ चुकी लड़कियों के स्वरोजगार हेतु खाद्य प्रसंसकरण विषय पर दिनांक १४-१५ जुलाई, दो दिवसीय संस्थागत प्रशिक्षण आयोजित किया गया जिसमें १८ प्रशिक्षनार्थियों ने भाग लिया। माँ सरस्वती के पूजन से प्रशिक्षण का उद्घाटन प्रभारी कार्यक्रम समन्वयक डॉ आर पी जोशी ने किया. २००८ को
प्रशिक्षण में डॉ चंद्रजीत सिन्हा एवं डॉ किंजल्क सी सिंह ने प्रशिक्षनार्थियों को आम का आचार, मुरब्बा, जैम, मैंगो शेक, तथा करौंदे की जैली एवं अचार बनाना सिखाया.
प्रशिक्षण के समापन समारोह में कृषि विद्यालय रीवा के अधिष्ठाता माननीय डॉ आर पी सिंह , नोडल अधिकारी डॉ ए के सिंह तथा कृषि विज्ञान केन्द्र से डॉ आर के तिवारी, डॉ रूपेश जैन, श्री मृतुन्जय कुमार मिश्रा जी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर प्रशिक्षनार्थियो को स्वरोजगार अपनाने हेतु प्रेरित किया.
प्रशिक्षनार्थोयों ने प्रशिक्षण को बहुत उपयोगी बताया।

ग्राम खौर में वन महोत्सव दिनांक ५ जुलाइ २००८ को मनाया गया

कृषि विज्ञान केंद्र रीवा की कार्यक्रम समन्वयक एवं विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ निर्मला सिंह ने केंद्र द्वारा अंगीकृत ग्राम खौर में वन महोत्सव दिनांक ५ जुलाइ २००८ को मनाया गया। इस कार्यक्रम में में पेड़ पौधों के महत्व पर प्रकाश डाला तथा पंचायत भनवान एवं पाठशाला के आसपास ग्राम वासियों के मदद से नीम एवं गुलमोहर के पौधे रोपित किए। इस कार्यक्रम मैं ४४ प्रतिभागी उपस्थित थे.

सोयाबीन में बोवाई पूर्व महिलाओं द्वारा कृषि कार्य Jawaharlal Nehru Krishi Vishwa विद्यालय http://google.co.in

कृषि विज्ञान केन्द्र के अंगीकृत ग्राम खौर में कृषि में संलग्न महिलाओं हेतु “सोयाबीन पूर्व कृषि कार्य में क्षमता वृद्धि" कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया. जिसमें सोयाबीन का अंकुरण परिक्षण, फफूंद नाशक तथा कल्चर (पीएसबी एवं रायजोबीयम् ) द्वारा उपचार शामिल है. यह कार्यक्रम न केवल महिलाओं के तकनीकी ज्ञान में वृद्धि करेगा बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी बढ़ायेगा।

बोवाई पूर्व सोयाबीन में कृषि कार्य http://google.co.in

"बोवाई पूर्व सोयाबीन में कृषि कार्य" कार्यक्रम, कृषि विज्ञान केन्द्र, रीवा (म प्र ) द्वारा अंगीकृत ग्राम खौर एवं लक्ष्मणपुर में कृषि में संलग्न महिलाओं के लिए दिनांक २६.०६.२००८ को प्रारम्भ किया गया। इस कार्यक्रम में १० महिलों में भंग लिया है जो की बीज अंकुरण परिक्षण, पी एस बी एवं रैजोबियम कल्चर द्वारा बीजोपचार तथा फफूंदा नाशक द्वारा बीजोपचार करेंगी.

संचालक विस्तार सेवाएँ, डॉ जे एस रघु का रीवा दौरा

संचालक विस्तार सेवाएँ, डॉ जे एस रघु ने कृषि विज्ञान केन्द्र रीवा तथा कृषि महाविद्यालय, रीवा का दौरा दिनांक १७ मई, २००८ को किया । इस दौरे में आपने विभिन्न साइटों का अवलोकन किया तथा वैज्ञानिकों के तकनीकी कार्यक्रमों की जानकारी ली। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता, डॉ आर पी सिंह एवं कृषि विज्ञान केन्द्र की कार्यक्रम समन्वयक डॉ निर्मला सिंह एवं वैज्ञानिक गण, संचालक महोदय के भ्रमण के दौरान उनके साथ थे।
शाम को आप् शहडोल के लिए रवाना हो गए।
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