लौह तत्व की आपूर्ति हेतु हरी पत्तेदार सब्जियों तथा खट्टे फलों का सेवन करें


कृषि महाविद्यालय -रीवा के अधिष्ठाता डॉ. एस. के.पाँडेय के मार्गदर्शन तथा कृषि विज्ञान केंद्र -रीवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. अजय कुमार पाँडेय के दिशा निर्देशन में राष्ट्रीय  पोषण मास के अवसर पर सुपोषण स्मार्ट ग्राम बजरंगपुर में 'पौष्टिक भोजन तथा स्वास्थ्य' विषय पर दिनाँक 25 सितम्बर, 2019 को  प्रशिक्षण आयोजित किया गया । गैर संस्थागत प्रशिक्षण के फीड-बैक सत्र में श्रीमती लालमति साकेत ने बताया कि प्रशिक्षण में हमने सीखा कि ग्रामीण माताओं- बहनों के रक्त में लाली बढ़ाने हेतु लौह तत्व की आपूर्ति के लिये अधिकाधिक हरी पत्तेदार सब्ज़ी, गुड़, अनार, चुकंदर और खट्टे फल आदि का सेवन करना चाहिये । इस प्रशिक्षण में 43 हितग्राहियों ने भाग लिया ।
प्रशिक्षण के प्रारंभ में केंद्र के खाद्य वैज्ञानिक डॉ. चंद्रजीत सिंह ने परामर्श दिया कि आगामी सर्दी के मौसम में शरीर पर तेल लगा कर दोपहर में धूप ज़रूर सेकें जिससे शरीर में विटामिन-डी का निर्माण होगा जो कि कैल्शियम के अवशोषण हेतु आवश्यक है । ऐसा करने से शरीर की हड्डियाँ और जोड़ स्वस्थ रहेंगे ।
प्रशिक्षण के सफल आयोजन में केंद्र की वैज्ञानिक डॉ. किंजल्क सी सिंह, महिला बाल विकास विभाग की आँगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती सुनीता पटेल, आंगनबाड़ी सहायिका श्रीमती श्यामाबाई साकेत, कृषक मित्र श्री राजेश पटेल एवं केंद्र के श्री उमेश वर्मा की भूमिका प्रशंसनीय रही । साथ ही श्रीमती स्नेहा साकेत, श्री अंकित साकेत तथा रोहित साकेत की कार्यक्रम में उपस्थिति उल्लेखनीय रही ।

कृषि में रसायनों का उपयोग अंतिम विकल्प के रूप में करें - डॉ. किंजल्क सी.सिंह



 जलवायु परिवर्तन का संकट, निरंतर हमारी सोच और समझ से आगे की चुनौती दे रहा है जिसका सीधा प्रभाव कृषि  पर देखा जा सकता है । मृदा का बढ़ता तापमान, असमय वर्षा और वर्षा का असमान वितरण जैसे कारकों से मृदा की क्षमता में कमी आ रही है तथा कीट-पतंगों से फैलने वाली बीमारियाँ बड़े पैमाने पर बढ़ रही हैं, जिससे उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है । इस स्थिति से निपटने के लिये प्रति व्यक्ति वृक्षों की संख्या में वृद्धि, जल का विवेकपूर्ण उपयोग, बीज के अंकुरण की जाँच, सक्रिय जैव उर्वरक और फफूँदनाशक से बीजोपचार, वायु की उपस्थिति में गोबर की खाद तथा केंचुआ खाद का निर्माण एवं उपयोग, ट्रैप क्रॉप, बर्ड पर्च, फैरोमैन ट्रैप, टपक सिंचाई, फव्वारा सिंचाई जैसी तकनीकियों का उपयोग कर रासायनिक दवाईयों को अंतिम विकल्प के तौर पर देखना ही ठीक होगा ।
उक्त विचार, डॉ. किंजल्क सी .सिंह, वैज्ञानिक, विस्तार सेवायेंकृषि विज्ञान केंद्र-रीवा के हैं, जिन्होंने ग्राम कोठी में, कृषि विज्ञान केंद्र -रीवा द्वारा आयोजित प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों को परमार्श दिया । लाभकारी कृषि हेतु जलवायु अनुकूलन तकनीकियाँ विषय पर यह प्रशिक्षण, वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा केंद्र प्रमुख डॉ. अजय कुमार पाँडेय के मार्गदर्शन में, दिनाँँक 27 सितम्बर, 2019 आयोजित किया गया जिसमें 27 कृषक भाई-बहनों ने भाग लिया ।
प्रशिक्षण में, केंद्र के ही खाद्य वैज्ञानिक डॉ. चंद्रजीत सिंह ने खेत की स्वच्छता को प्राथमिकता देने की समझाईश दी जिससे खेत पर खरपतवार, कीट और रोग का संक्रमण स्वतः कम हो जाये । महिला बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक श्रीमति सपना तिवारी ने पर्यावरण तथा प्रकृति की मर्यादा के अनुकूल जीवनयापन करने की सलाह दी ।
ग्राम कोठी की आँगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमति साधना मालवीय ने कार्यक्रम की सफलता हेतु समस्त प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया । कार्यक्रम में केंद्र से श्री उमेश वर्मा की उपस्थित उल्लेखनीय रही ।


कृषि से जुड़े लोगों के लिये अब हिन्दी साईट “जवाहर किसान” उपलब्ध

जवाहर किसान नामक ब्लॉग साईट संचार के आधुनिकतम साधनों का उपयोग करके किसानों को त्वरित एवम नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराने हेतु लोकप्रिय हो रही है. कृषि विज्ञान केन्द्र-रीवा मे कार्यरत वैज्ञानिक, डॉ चन्द्रजीत सिंह एवं डॉ. किंजल्क सी. सिहं ने कृषक भाई बहनों को सूचना प्रदाय करने हेतु  हिन्दी की ब्लॉग साईट ‘जवाहर किसान’ बनाई ताकि किसान भाई और बहन घर बैठे अपने स्मार्ट फोन पर इंटर्नैट का उपयोग कर  खेती किसानी की जानकारी ले पायें.  साईट खोलने के लिये पता है –jawaharkisan.blogspot.com अथवा गूगल (www.google.com) पर मात्र jawaharkisan लिख कर भी इस साईट को खोला जा सकता है.
डॉ.चन्द्रजीत सिंह बताते हैं कि यह साईट प्रो. एस.व्ही. आर्य, भूतपूर्व कुलपति, ज.ने.क्रि.वि.वि द्वारा प्रदत्त विचारधारा पर आधारित है. प्रो. आर्य के अनुसार् कृषक भाई बहनों द्वारा चाही गई प्रत्येक कृषि सम्बन्धित एवं सम्बन्धित विषयक जानकारी एक ही मंच से लाभार्थीयों को प्राप्त हो सके कुछ ऐसे  प्रयास किये जाने चाहिये..   
डॉ. किंजल्क सी. सिंह बताती है कि कृषक भाई बहन इस साईट से आधुनिक कृषि  तकनीक समबन्धी वैज्ञानिक लेख, अनाज, दलहन एवं तिलहन तथा सब्ज़ी – भाजी, फल एवं फूल की कृषि उपज कार्यमाला, वैज्ञानिक अनुशंसायें आगामी दस दिनों के मौसम की जानकारी, 1500 कृषि समबन्धी विडियो फिल्मे, कृषि उत्पाद का तात्कालिक बाज़ार भाव, 25 चुनिन्दा वार्ता हेतु उपलब्ध वैज्ञानिकों का नाम, विषय सहित मोबाईल नम्बर, कृषि एवं ग्राम विकास सम्बन्धित अन्य विभाग की उन्नत्शील योजनायें एवं अन्य कई उपयोगी साईट की लिंक, साथ ही साथ कृषि विद्यार्थियों हेतु नौकरी समबन्धी जानकारी जैसी अहम जानकारी इस साईट पर उप्लब्ध हैं. इस साईट पर जाकर आप नि:शुल्क सदस्यता भी ग्रहण कर सकते हैं.
इस साईट से अभी तक 11 हज़ार से अधिक लोगों ने लाभ प्राप्त किया है तथा 21 सदस्य हैं. इस साईट पर ऐसी व्यवस्था है कि अन्य भाषा जानने वाले लोग, अनुवाद टूल का उपयोग कर साईट में प्रस्तुत सामग्री को अपनी भाषा में भी पढ़ सकते हैं. इस साईट में प्रस्तुत लेख अथवा कार्यमाला के नीचे दिये गये कमेंट बॉक्स में जा कर कोई भी व्यक्ति अपने विचार लिख कर व्यक्त कर सकता है.
कृषि विज्ञान केन्द्र – रीवा के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अजय कुमार पांडेय ने आह्वान किया कि समूचे प्रदेश के किसान भाई बहन ही नहीं वरन सभी हिन्दी भाषी तथा अन्य भाषाई कृषि से जुड़े किसान भाई बहन, विस्तार अधिकारी, कार्यकर्ता, व्यापारी एवं अन्य सभी को इस साईट से अधिकाधिक लाभ लेना चाहिये.   इस साईट के पाठकगण को फोन तथा वॉट्स अप जैसे माधयमों से भी सहायता पहुँचाई जाती है. 

ग्राम खौर मे पशु टीकाकरण शिविर का आयोजन


दिनांक २२ जून, २००८ को कृषि विज्ञान केन्द्र के अंगीकृत ग्राम खौर मे पशु टीकाकरण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें गलघोंटू एवं लंगारिया रोगों के लिए टीका लगाया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक पशु पालन डॉ रुपेश जैन ने बताया की वर्षा ऋतु में इन बीमारीओं के संक्रमण की संभावना अधिक होती है जिसे देखते हुए इस शिविर के आयोजन का निर्णय लिया गया।

इस शिविर में ५२ किसानो के 210 पशुयों को टीका लगाया गया। कार्यक्रम में केन्द्र के ही वैज्ञानिक डॉ आर पी जोशी, डॉ रघुराज तिवारी एवं डॉ बी एस द्विवेदी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। पशु चिकित्सा महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ विवेक अग्रवाल एवं डॉ नितिन बजाज का सहयोग प्रशंसनीय रहा जिन्होंने तकनीकि जानकारी प्रदान करने के साथ साथ पशु टीकाकरण में सहयोग प्रदान किया।

आधुनिक कृषि तकनीक अपनायें और खेती की लागत में कमी लायें


क़ृषि आदान का क्रय करने के पूर्व कृषक भाईयों को सजग रहना बहुत आवश्यक है. आदान क्रय करने के पूर्व नवीनतनम तकनीकी जानकारी के लिये कृषि विज्ञान केन्द्र, रीवा पधार कर सम्बन्धित वैज्ञानिक से निःशुल्क सलाह लें तत्पश्चात कृषि आदान के विक्रय की दुकान जा कर वैज्ञानिकों कि अनुशंसा के अनुसार ही कृषि अदान क्रय करें, अदान हमेशा नगद में क्रय करें, आदान क्रय करते समय एक्स्पायरी तिथि की जाँच अवश्य करें एवं खरीदे गये आदान का कैश मैमो अवश्य लें. उपरोक्त जानकारी अपने उद्बोधन में, विषय विषेशज्ञ डॉ. किंजल्क सी. सिंह ने ग्राम जोरी में, कृषि विज्ञान केन्द्र, रीवा की कार्यक्रम समन्वयक, डॉ. निर्मला सिंह के दिशा निर्देशन में, ‘कृषि आदान क्रय में सावधानिय़ाँ’ विषय पर दिये जा रहे प्रशिक्षण में दी. आपने आगे बताया के आदान का क्रय समय से पूर्व करें ताकि आदान की उप्लब्धता सुनिश्चित हो सके.
केन्द्र के ही वैज्ञानिक, डॉ. चन्द्रजीत सिंह ने कहा की किसान भाई किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम का लाभ लें और समय पर बैंक का पैसा लौटायें और डिफॉल्टर बनने से बचें ताकि आने वाले वर्षों में भी इस स्कीम का लाभ आप लेते रहें और समय से पूर्व कृषि आदान क्रय कर सकें.
केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. बी. एस. द्विवेदी ने जहाँ एक ओर ग्राम के कृषकों के खेत से मृदा का जाँच हेतु मृदा के नमूने एकत्रित किये वहीं जवाहर कल्चर का खरीफ फसलों में उपयोग की समझाईश दी. आपने ज़ोर देते हुये कहा कि जवाहर कल्चर का क्रय किसान भाई, कृषि विज्ञान केन्द्र, रीवा अथवा मृदा विभाग, कृषि महाविद्यालय, रीवा से ही करें.
केन्द्र के द्वारा एंट्री पोईंट एक्टिविटी हेतु, ग्राम भ्रमण के दौरान वैज्ञानिकों ने गोबर और कचरे से भरे, दो साल पुराने गड्ढे को खोदते हुये किसान को मौके पर ही समझाया कि घूरे में दो साल बाद भी गोबर गर्म निकल रहा है और इस प्रकार का गोबर इतने दिनों बाद भी गोबर ही है न की खाद. ऐसा गोबर दीमक और चारे का बहुत ही बड़ा स्त्रोत है और चारे की वजह से खेत पर हानीकारक कीड़ों की संख्या में भी भारी वृद्धि हो जाती है जिसके फलस्वरूप दवाईयों के खर्च का अतिरिक्त बोझ किसानों के ऊपर आ पड़ता है और लाभांश में कमी आ जाती है.
अतः कम लागत के कच्चे भू-नाडेप, टटिया नाडेप अथवा पक्के नाडेप के ज़रीये ही गोबर की खाद बनायें और खेती की लगत में कमी लायें.
किसानों को समझाया गया की फिलहाल जो गोबर घूरों से खोदी जा रही है उसे खेत में डालने के पूर्व ज़मीन के ऊपर पाँच से दस दिन पानी डाल कर ठंडा कर लेने के बाद ही खेत में डालें और आगे से अनुशंसित तरीके से ही खाद बनायें.
प्रशिक्षण को सफल बनाने में ग्राम सचिव श्री जय सिंह जी और गाँव के ही प्रगतिशील कृषक श्री कुशवाहा जी तथा श्री रवि नन्दन सिंह चन्देल जी का सहयोग प्रशंसनीय रहा.   

महिलाओं की भागीदारी से बन सकता है लाभ का व्यवसाय कृषि


किसान यह नहीं जानते हैं कि वो जो बो रहे हैं वह बीज है अथवा दाना इसलिये उत्पादकता के प्रति अनिश्चितता बनी रहती है जिससे बचने के लिये वे आवश्यकता से अधिक बीज दर का उपयोग करते हैं और एक ओर लागत बढ़ाते हैं वहीं दूसरी ओर घनी बोनी करने के कारण प्राकृतिक संसाधन जैसे, धूप, हवा, जल, पोषक तत्व, फैलाव के लिये आवश्यक स्थान का उपयोग नहीं कर पाने के कारण उत्पादन में कमी आती है जिसके कारण आर्थिक नुकसान उठाते हैं.
जब तक बीज देहरी के अन्दर रहता है तब तक महिलायें ही इसका रख रखाव करती हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, रीवा के वैज्ञानिक डॉ. चन्द्रजीत सिंह  ने सोयाबीन में बुवाई पूर्व बीज प्रबन्धन विषय पर ग्राम जोरी में 20 महिलाओं और 9 पुरुषों  को विधि प्रदर्शन करते हुए तीन साल कोष जमा कर एक बार नौ तपे के पूर्व गहरी जुताई, उपलब्ध बीज का अंकुरण परीक्षण, प्रति एकड़ बीज दर का निर्धारण, फफूंद्ननाशक तथा रायज़ोबीयम एवं पी.एस.बी कल्चर से बीजोपचार करना तथा 12-14 इंच कतार कतार से बोनी के लिये अपने परिवार के मुखिया को बोनी के लिये निर्णय लेने को ज़ोर दे कर सहायता करने की समझाईश दी.
कार्यक्रम के सफल आयोजन में केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक डो बी.एस द्विवेदी की भूमिका महत्वपूर्ण रही.
श्रीमती. माया सिंह, श्रीमति सुधा मिश्रा, ग्राम सचिव श्री. जय सिंह, श्री भुवन सिंह, श्री राज भुवन सिंह की उपस्थिति एवं सहयोग उल्लेख्नीय रहा.       

उत्कृष्टता पुरस्कार से डॉ. अभय वानखेड़े सम्मानित

डॉ. अभय वानखेड़े, वैज्ञानिक, मुख्यमत्री से पुरुस्कार प्राप्त करते हुये 
       कृषि तकनीकी सूचना जानकारी के प्रभावी और त्वरित फैलाव के लिये सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग हेतु किसान मोबाइल संदेश कार्यक्रम के योजना निर्माण व क्रियान्वयन हेतु ज.ने. कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्र सिवनी के प्रभारी कार्यक्रम समन्वयक डा. अभय वानखेड़े को म.प्र. शासन का प्रतिष्ठित र्इ-उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रदेश स्तर पर विभिन्न श्रेणियों में कुल 23 प्रतिभागियों का चयन उच्च स्तरीय चयन समिति द्वारा भोपाल में प्रस्तुतिकरण के आधार पर किया। कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन, सूचना प्रौधोगिकी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह एवं प्रदेश के मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसाजी की गरिमामयी उपस्थिति में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के कर कमलों द्वारा प्रदान किया गया। व्यकितगत श्रेणी में डा. अभय वानखेड़े के कार्य की सराहना करते हुये मुख्य सचिव महोदय ने इस कार्यक्रम के अधिकाधि उपयोग हेतु प्रेरित किया। जवाहरलाल नेहरू कृषि विद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) के माननीय कुलपति प्रो. विजय सिंह तोमर के दिशा निर्देशन एवं संचालक विस्तार सेवायें डा. पी. के. मिश्रा के कुशल नेतृत्व में किये अनुकरणीय कार्य की प्रदेश के कृषि मंत्री श्री गौरीशंकरजी बिसेन द्धारा सराहा गया। 
ज्ञात हो कि डॉ. अभय वानखेड़े द्वारा वर्ष  2007 से किसानों को खेती की आवश्यक      जानकारी जैसे आदान उपलब्धता,  कृषकों के लिये  उपयोगी योजनायें एवं मौसम की सूचना को संदेश  के रूप में कृषकगण के मोबाईल फोन पर भेजने  का कार्य प्रारम्भ किया था जिस पर मंडी की  सूचना,  अनाज बेचने की जानकारी, बैंक में  जमा  एवं  निकासी की सूचना भी भेजी जा रही  है।
        उल्लेखनीय है कि कृषि विश्वविद्यालय के किसी  वैज्ञानिक को पहली बार यह सम्मान प्रदेश शासन द्वारा प्रदाय किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र, सिवनी के समस्त वैज्ञानिकों एवं मित्रों इन्हें सम्मान प्राप्त करने हेतु बधार्इ दी है। 
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