जलवायु परिवर्तन का
संकट, निरंतर
हमारी सोच और समझ से आगे की चुनौती दे रहा है जिसका सीधा प्रभाव कृषि
पर देखा जा सकता है । मृदा का बढ़ता तापमान, असमय
वर्षा और वर्षा का असमान वितरण जैसे कारकों से मृदा की क्षमता में कमी आ रही है
तथा कीट-पतंगों से फैलने वाली बीमारियाँ बड़े पैमाने पर बढ़ रही हैं, जिससे
उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है । इस स्थिति से निपटने के लिये प्रति
व्यक्ति वृक्षों की संख्या में वृद्धि, जल का विवेकपूर्ण
उपयोग, बीज के अंकुरण की जाँच, सक्रिय जैव
उर्वरक और फफूँदनाशक से बीजोपचार, वायु की उपस्थिति में गोबर
की खाद तथा केंचुआ खाद का निर्माण एवं उपयोग, ट्रैप क्रॉप,
बर्ड पर्च, फैरोमैन ट्रैप, टपक सिंचाई, फव्वारा सिंचाई जैसी तकनीकियों का उपयोग
कर रासायनिक दवाईयों को अंतिम विकल्प के तौर पर देखना ही ठीक होगा ।
उक्त विचार, डॉ.
किंजल्क सी .सिंह, वैज्ञानिक, विस्तार
सेवायें, कृषि विज्ञान केंद्र-रीवा के हैं, जिन्होंने
ग्राम कोठी में, कृषि विज्ञान केंद्र -रीवा द्वारा आयोजित
प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों को परमार्श दिया । लाभकारी कृषि हेतु जलवायु
अनुकूलन तकनीकियाँ विषय पर यह प्रशिक्षण, वरिष्ठ वैज्ञानिक
तथा केंद्र प्रमुख डॉ. अजय कुमार पाँडेय के मार्गदर्शन में, दिनाँँक 27 सितम्बर, 2019 आयोजित
किया गया जिसमें 27 कृषक भाई-बहनों ने भाग लिया ।
प्रशिक्षण में, केंद्र
के ही खाद्य वैज्ञानिक डॉ. चंद्रजीत सिंह ने खेत की स्वच्छता को प्राथमिकता देने
की समझाईश दी जिससे खेत पर खरपतवार, कीट और रोग का संक्रमण
स्वतः कम हो जाये । महिला बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक श्रीमति सपना तिवारी ने
पर्यावरण तथा प्रकृति की मर्यादा के अनुकूल जीवनयापन करने की सलाह दी ।
ग्राम कोठी की आँगनबाड़ी
कार्यकर्ता श्रीमति साधना मालवीय ने कार्यक्रम की सफलता हेतु समस्त प्रतिभागियों
का आभार प्रकट किया । कार्यक्रम में केंद्र से श्री उमेश वर्मा की उपस्थित
उल्लेखनीय रही ।